जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म जहाँ भारतीय धर्म एवं संस्कृति की मूल भित्ति हैं वहीं अपने आप में अत्यन्त गूढ़ गोपनीय और रहस्यमय हैं। प्रारम्भ से ही इनके तिमिराच्छनन विषयों के...
पं० अरुणकुमार शर्मा योग, तंत्र और भूत-प्रेत आदि परा मनोवैज्ञानिक विषयों के निष्णात् विद्वान तो हैं ही इसके अतिरिक्त उन्होंने तंत्रशास्त्र के गूढ़ अंगों पर गम्भीरतापूर्वक स्वतंत्र रूप से शोध...
‘वक्रेश्वरी की भैरवी’ योग-तन्त्र-परक कथाओं का संग्रह है। यद्यपि ये अविश्वसनीय और असम्भव-सी लगेगी किन्तु स्वाभाविक भी है। आज के वैज्ञानिक युग में इन पर विश्वास करना मुश्किल है—इन्द्रियों की सीमा से परे घटित घटनाओं पर। इस भौतिक जगत में दो सत्ताएँ हैं—आत्मपरक सत्ता और वस्तुपरक सत्ता।वस्तुपरक सत्ता के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं को तो प्रामाणित किया जा सकता है, लेकिन आत्मपरक सत्ता को नहीं। इसलिए कि आत्मपरक सत्ता की सीमा के अन्तर्गत जो कुछ भी है, उनका अनुभव किया जा सकता है, और उसकी अनुभूति की जा सकती है।