Jaimini Sutram - Sampuran (Hindi) by SC Mishra
जैमिनी सूत्रम - सुरेश चंद्र मिश्रा
जैमिनी के सभी उपलब्ध सूत्रों का हिन्दी भाष्य राशियों की विशेष दृष्टि का प्रकार कारकांश लग्न से सभी प्रकार का फलादेश पद लग्न व् आपकी आर्थिक दृष्टि उपपद लग्न व् आपका दाम्पत्य जीवन , जीविका, व्यवसाय व् रोग -निर्णय, आयु - निर्णय का विस्तृत व्आ प्रामाणिक मार्ग यशस्वी, ग्रन्थकार व् भाग्यशाली होना केमद्रुम योग का अनोखा विचार कारागार योग, सुख, स्वभाव, चरित्र व् स्त्री- रोग अपनी कुंण्डली से पुत्र की जन्म - कुंण्डली जानना अस्वाभाविक, दर्दनांक या स्वाभाविक मरण अनेक प्रसिद्ध व् अप्रिसद्ध दशा प्रकार व् फल जैमनीय मत में राजयोग एक नया ढंग मारक स्थान, मारक दशा व् मारक रोग आधान लग्न से ही संतान का लिंग -वर्ण स्त्री जातक के गुड़ आ विशेष नियम षड्वर्गो का फलादेश - एक विशेषता नवम आ सप्तम स्थान भी पुत्र स्थान, भाव लग्न, घटी लग्न, होरा लग्न आदि से फलादेश l
जैमिनी स्थिर दशा से भविष्यवाणी मैंने पंजाब के एक ज्योतिषी, जिनका नाम संभवत टेक चंद था, ब्रह्म ज्ञान करने की निम्नांकित विधि समझी थी l पहले ग्रह और राशि बलों...
भाव निर्णय, दशा एवं गोचर द्वारा समय निर्धारण सटीक भविष्य कथन के लिए ग्रहो के बलाबल, स्थिति, पारम्परिक संबंध, स्वाभाविक एवं स्थानिक प्रभावों के कारण फल में परिवर्तन आदि अनेक...
विशोत्तरी दशा आधारभूत सूत्र विशोत्तरी दशा के आधारभूत सूत्र नामक इस संरचना में उपरोक्त आठों शोध प्रबन्धों से उदधृत महत्वपूर्ण सूत्र एवं सिद्धांत से सम्बंधित सामग्री ली गई है, जिसे...
Among many universal and conditional dashas of Parashara based on the occupation of Moon in a particular nakshatra, Chakra Dasha is an exception as it is calculated according to the...
Brihaspati Dasha Phaldipika बृहस्पति दशाफल दीपिका को अग्रांकित २१ अध्यायों में व्याख्यायित और विभाजित किया गया है जिसमे बृहस्पति की महादशा के फल के साथ - साथ बृहस्पति की महादशा...
सूर्य दशाफल दीपिका सूर्य दशाफल दीपिका को अग्रांकित १२ अध्यायों में व्याख्यापित किया गया है :- १. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का महत्व २. विशोत्तरी दशाफल निर्णय ३ दशाफल कथन...
नक्षत्रों पर आधारित भविष्यवाणी का उद्गम वैदिक काल में हुआ था, तब इसे " वेदांत ज्योतिष" कहते थे I नक्षत्र शब्द संस्कृत से उतपन्न हुआ है एक विचार के अनुसार इसका अर्थ (नक्ष = प्रवेश ) + ( त्र = रक्षा करने वाला ) है I अत: कुल मिलाकर प्रत्येक नक्षत्र २८ देवताओ में से प्रत्येक का घर अथवा निवास होता है, जो नक्षत्रीय तथा सौर विकास की रक्षा तथा संचालन करते है I नक्षत्रों पर आधारित भविष्यवाणी का मुख्य आधार जन्म - नक्षत्र अथार्त जन्म के समय एक विशेष नक्षत्र में चन्द्रमा की स्थिति है I प्रस्तुत पुस्तक के आगे अध्ययन से पूर्व निम्नलिखित जानकारी/ आंकड़े उपलब्ध होना आवश्यक है-१. जिस वर्षे में जातक का जन्म हुआ है उस वर्ष का ज्योतिष पंचांग I२. जन्म स्थान के अक्षांश तथा रेखांश का निर्धारण करना I३. जातक के जन्म का ठीक समय, दिन, मास तथा वर्ष का निर्धारण यदि जन्म समय किसी देश के निर्धारित समय के अनुसार है तो अक्षांश के आधार पर जन्म का स्थानीय समय भी जानना आवयश्क है I स्थानीय समय निकालने का सूत्र इस प्रकार है : यदि मेरिडियन के पूर्व में स्थित स्थान पर जन्म हुआ है तोअक्षांश की प्रत्येक डिग्री पर उस देश के निर्धारित समय में ४ मिनट जोड़े और यदि जन्मस्थान मेरिडियन के पश्चिम में स्थित है तो अक्षांश की प्रत्येक डिग्री पर निर्धारित समय से ४ मिनट...
Budh Dasha Phaldipika ये सभी कृतियाँ स्वयं में परिपूर्ण है और समस्त शास्त्रीय ग्रंथो में उपलब्ध सामग्री के साथ- साथ इन कृतियों में लेखकों ने अनेक व्यावहारिक जन्मांगों के विश्लेषण...